सबसे पहले लेते हैं वाइरल संक्रमण और देखते हैं कि होम्योपैथी इसमे कितनी मदद कर सकती है। जहां तक तुलनात्मक प्रशन है,एलोपैथी जहां वाइरल में अपने को असहाय पाती है वही होम्योपैथी बैक्टीरियल की तुलना मे वाइरल संक्रमणो में अधिक सक्षम और कारगर रहती है।
1:-खसरा[Measles]:-
खसरा संक्रामक रोग है ,जिसके लक्षण होते हैं-तीव्र जुकाम,आखों से पानी आना,खांसी, सर्दी लगना,बुखार और चकत्ते पडना।जैसे ही चकत्ते पडते हैं, आखों से पानी जाने और रोशनी असह्य लगने के साथ बुखार 105० फ़ा तक बढने की संभावना रहती है। रोग के लक्षण 5-8 दिन तक रहते है। अगर उचित ढंग से इलाज न किया जाय तो न्यूमोनिया होने का खतरा बना रहता है। खसरा संक्रामक रोग है और अधिकांश बच्चे ही इसके शिकार होते हैं लेकिन बडे भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। अकसर जाडे समाप्त होने के बाद जब मौसम में बदलाव होता है तब खसरे के मरीज बढ जाते हैं।
2- छोटी माता [chicken pox]
यह भी संक्रमित रोग है, बच्चे और बडे दोनो ही समान रूप से इससे संक्रमित हो सकते है। प्रारम्भिक लक्षणो मे शारीरिक थकावट,हल्का बुखार,और शरीर पर फ़फ़ोलों का उत्पन होना, जो छोटी माता की पहचान भी होती है। इसका समय काल लगभग 10 दिन रहता है।
3- कर्णमूल या कनफ़डे [mumps]
कर्णमूल भी संक्रामक रोग है जिसकी पहचान एक या एक से अधिक गलक्षत (parotid gland) की सूजन,साथ मे हल्का बुखार, मुँह खोलने मे परेशानी और दर्द के रूप मे जानी जाती है। रोग की समय सीमा लगभग 10-15 दिन होती है। अगर उचित ढंग से इलाज न किया जाय तो पुरुषों मे अंड कोष और औरतों मे स्तन की सूजन होने का खतरा बना रहता है।
आगे जारी.....
8 comments:
बहुत सुन्दर,
बहुत सटीक जानकारी दी है आपने।
Muze hindime likhana nahi ata parantu apana Comilation is very useful and on the exepereance base. very good artical
jankari ke liye dhanyawad
hello.. doctor prabhat ur name n ur video collection is vry gud!!!!
इतनी अच्छी जानकारी के लिये बहुत धन्यवाद।
respected sir,
I have very glad to read the information. It's very usefully to the humen being.
thank you
gulab khatarkar
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D/Sir,
Kya homeopathy ka side effect bhi hota hai
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