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बवासीर या पाइल्स और होम्योपैथिक उपचार

Friday, 27 February 2009

 

बवासीर को आधुनिक सभ्यता का विकार कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता  महत्व , लेकिन और भी कई कारण हैं  बवासीर के रोगियों के बढने में । तो सबसे पहले जाने बवासीर और उसके मूल कारण :

आंतों के अंतिम हिस्से या मलाशय की धमनी शिराओंके फ़ैलने को बवासीर कहा जाता है ।

बवासीर तीन प्रकर की हो सकती है

  • बाह्य पाइल्स: फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार से बाहर आना
  • आन्तरिक पाइल्स : फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार के अन्दर रहना
  • मिक्सड पाइल्स: भीतरी और बाहरी मस्से

कारण :

  • बहुत दिनों तक कब्ज की शिकायत रहना
  • सिरोसिस आफ़ लिवर
  • ह्र्दय की कुछ बीमारियाँ
  • मध, मांस, अण्डा, प्याज , लहसुन, मिर्चा, गरम मसाले से बनी सब्जियाँ, रात्रि जागरण , वंशागत रोग ।
  • मल त्याग के समय या मूत्र नली की बीमारी मे पेशाब करते समय काँखना
  • गर्भावस्था मे भ्रूण का दबाब पडना
  • डिस्पेपसिया और किसी जुलाब की गोली क अधिक दिनॊ तक सेवन करना ।

लक्षण

  • मलद्वार के आसपास खुजली होना
  • मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
  • मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
  • मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
  • मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना

बवासीर से बचाव के उपाय

कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें । इसके लिये :

  • अधिक मात्रा मे पानी पियें
  • रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें | आटे मे से चोकर न हटायें ।
  • मलत्याग के समय जोर न लगायें
  • व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें ।

अगर बवासीर के मस्सों मे अधिक सूजन और दर्द हो तो :

गुनगुने पानी की सिकाई करें या ’सिट्स बाथ’ लें । एक टब मे गुनगुना पानी इतनी मात्रा मे लें कि उसमे नितंब डूब जायें  । इसमे २०-३० मि. बैठें ।

होम्योपैथिक उपचार :

किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन  परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।

नीचे दी गई  औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा पर हाथ आजमाने की कोशिश न करें , दवा के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर भरोसा करें  ।

फ़्लो चार्ट को साफ़ और बडॆ आकार मे  देखने के लिये चित्र पर किल्क करें ।

१. बवासीर के मस्सों मे तकलीफ़ और अधिक प्रदाह : aconite, ignatia,acid mur, aloes, chamomilla, bell,acid mur, paeonia

२. खुजलाहट : arsenic, carbo, ignatia, sulphur
३. स्ट्रैंगुलैशन : belladona,ignatia, nux

४.रक्तस्त्राव में : aconite, millifolium,haemmalis, cyanodon

५. मस्से कडॆ : sepia

६. बवासीर के मस्सों का बाहर निकलना पर आसानी से अन्दर चले जाना : ignatia

७. भीतर न जाना : arsenic, atropine, silicea, sulphur
८. कब्ज के साथ : alumina, collinsonia, lyco, nux, sulphur

९.अतिसार के साथ : aloes,podo,capsicum

१०. बच्चों मे बवासीर  : ammonium carb, borax, collinsoniia, merc

११. गर्भावस्था मे बवासीर : lyco,nux, collinsonia , lachesis, nux

१२.शराबियों मे बवासीर : lachesis, nux

१३. वृद्धों मे बवासीर : ammonium carb , anacardium