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सफ़ेद दाग और होम्योपैथी- आशा की एक किरण -भाग-१ (Leucoderma & homeopathy- an ultimate hope -Part-1)

Tuesday, 14 August 2007

  leucoderma लियकोडर्मा पर पिछली दो पोस्टों से अब की बार कुछ हट कर बात करते हैं। लेकिन यह बिल्कुल आवशयक नही कि मेरे तरीके दूसरे होम्योपैथिक चिकित्सक पसन्द करें और एक राय बनायें । सच तो यह है कि आज होम्योपैथी क्लासिकल और नान -क्लासिकल होम्योपैथी मे बुरी तरह से फ़ँस कर रह गयी है। हर चिकित्सक का औषधि देने का तरीका अलग-2 होता है , भले ही हम अपने को कितने सिद्दांत्वादी कह ले , लेकिन कही न कही हम करते वही हैं जो हम किलीनिकल प्रैकिटिस मे सीखते हैं। क्या क्लासिकल होम्योपैथी गलत है- बिल्कुल नहीं , मेरे यह लिखने का तात्पर्य यह कदापि नहीं है । हैनिमैन ने भी आर्गेनान मे अपने जीवित रहने तक छह बार सुधार किया , लेकिन उसके बाद क्या हुआ ? कुछ दिन पूर्व कलकत्ता के डां शयामल बैनर्जी ने बातों - 2 मे बहुत ही महत्वपूर्ण इशारा किया और मै डा बैनर्जी की बात से काफ़ी हद तक सहमत भी हूँ । बतौर डा बैनर्जी

"अकसर रिपर्टार्जेशन करते समय या तो पोलीक्रेस्ट औषधिया सामने आती हैं या ऐसी औषधियाँ जो कुछ मिलती हुयी या काफ़ी हद तक मिलती प्रतीत होती हु्यी या ऐसी मे वह औषधियाँ जो मियाज्म की पृष्ठभूमि से हैं लेकिन ऐसी औषधियाँ जो नयी और हाल ही मे आयी हैं वह लगभग छूट ही जाती हैं …. ”
यह बात काफ़ी हद तक सच भी है ।

 कुछ इसी तरह के विचार डां देश बन्धु वाजपेजी जी ने मेरी एक पोस्ट सेंकड प्रिसक्र्पशन और सही पोटेन्सी के चुनाव पर रखी थी । आपके अनुसार,

Since commence of Homeopathic doctrine in existence from Medicine of Experiences unto the appearance of the Organon of Medicine 6th edition, Hahnemann have changed many times his doctrine and philosophy, which he laid down in earliest period in their subsequent editions. These changes are itself proved that there is need to make much more changes in the practical way. Why we forget that Boenninghausen convinced Hahnemann for alternation of medicine rule inclusion in Organon. If you go Hahnemannian Life History and also in some writings, Hahnemann himself used and advocated alternation of two remedies at a time. Why you forget the famous trio of Boenninghausen, which is still effective in Spasmodic croup.But due to opposition of the then followers Hahnemann geared back to include this law.

हाल के दिनो मे देखें काफ़ी नयी होम्योपैथिक औषधियाँ प्रयोग के लिये तैयार हैं , लेकिन बात वही आ कर फ़ँस जाती है कि इनका उपयोग करने की जहमत कौन उठाये ।  ओ. बी. जूलियन की मैटिया मेडिका , डा घोष की ड्र्ग्स आफ़ हिन्दुस्तान, ऎन्शुट्ज की रेअर होम्योपैथिक मेडिसिन्स मे बहुत सी नयी औषधियों का समावेश है , उनको व्यवहार मे लाना तो होगा , मगर कैसे ? जब आप उनका उपयोग ही नही करोगे तो कहाँ से वह कसौटी पर उतरेगीं, जबकि इन औषधियों का कार्य कई रोगों मे अधिक त्वरित है। यही हाल बैच फ़्लावर औषधि और मदर टिन्चर के साथ भी है । डां रौजर वान वैन्डर्वुर्ड की कम्पलीट रिपर्ट्री को खोल कर देखें तो बहुत सी औषधियों के क्लीनिकल प्रमाण लियकोडर्मा मे दिखते हैं , यह बात अलग कि इनमे से अधिकांश औषधि भारत मे नही मिलती , और शायद इनका न मिलने का कारण होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा नयी औषधियों के प्रति अरुचि दिखाना   है ।
लेकिन मैने पाया कि पुराने और जटिल रोगों मे अगर हम क्लासिकल और नान-क्लासिकल होम्योपैथी का संगम ले कर चलते हैं तो उनके परिणाम अधिक सुखद दिखते हैं। मै समझता हूँ कि बहुत से होम्योपैथिक चिकित्सक इनका प्रयोग सफ़लता पूर्वक कर रहे हैं लेकिन बोलने की हिमाकत नही करते क्योंकि फ़िर उनकी टाँग- खिचाई यह क्लासिकल वाले कुछ अधिक ही कर डाल देते हैं ) , तो जाहिर है कि कि मै हैनिमैन और केन्ट के तरीको से थोडा हट कर बात कर रहा हूँ, हाँ , यही सत्य है, कम से कम लियकोडरमा के रोगियों मे मै अपने ही तरीके से चलना पसन्द करता हूँ। हर साल कुछ नये रोगी लियकोडर्मा के मिलते रहते हैं , कुछ इनमे से ठीक होते हैं तो कुछ नही भी और कुछ बिना समय दिये ही जल्दी भाँगने मे भलाई समझते हैं , इतने सालों मे मै अपने कोई रिकार्ड व्यवस्थित न रख पाया लेकिन गत वर्ष होम्पैथ के case analysis साफ़्टवेऐर से लियकोडर्मा के रोगियों की सही ढँग से समीक्षा करने का मौका पडा । इस एक साल के दौरान २२ रोगी लिये गये जिनमें से ७ रोगियों ने १-२ महीने के अन्तराल पर इलाज छोडा , बाकी बचे १५ , इनमे से ७ पूर्णतया ठीक हुये और ४ को कुछ महीने के बाद मना करना पडा क्योंकि इनमे रोग  के पैच काफ़ी बडॆ थे और बाकी बचे ४ जिनका इलाज अभी चल रहा है और रोग मे कमी दिखा रहे हैं।
वैसे जब मै अपने तरीको की ही बात करूँ तो सबसे पहले रोग के प्रमुख कारण ,लियकोडर्मा रोगियों के लिये आहार और पथ्य,  विभिन्न होम्योपैथिक और दूसरी पद्दतियों के चिकित्सकों के मत और  उनके सफ़ल तरीको   पर भी एक चर्चा कर लेना आवशयक समझता हूँ। साथ ही में कुछ टिप्स B.H.M.S. छात्रॊं के लिये भी, विशेष कर रिपर्टाराजेशन करते समय आने वाली दुशवारियों और उनके हल पर भी रहेगीं । एक नजर हम डा सहगल की  "Revolutionized Homoeopathy  यानि इन्कलाबी होम्योपैथी " पर भी डालेगें और साथ ही मे बैच फ़्लावर पर भी एक नजर रहेगी । लेकिन यह सब देखेगें किसी दूसरी पोस्ट में ।  बास आज इतना ही !

क्रमश: आगे जारी .........

 देखें  लियकोडर्मा पर संबधित पोस्ट :


होम्पैथ क्लासिक 8 -समस्या का सुखद अंत

Friday, 2 February 2007

HP


P.M.S मे आ रही तारीखों से संबधित समस्यायें अब पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं। डा शाह आपका-2 बहुत धन्यवाद । इस समस्या को दूर करने के लिये अपग्रेड यहाँ पर हैं , जिन होम्पैथ प्रयोगकर्ताओं को इस समस्या से जूझना पडा है वह अपग्रेड के लिये सीधे डां जवाहर शाह जी से सम्पर्क करें।

होम्पैथ क्लासिक 8 साफ़्ट्वेएर- मुसीबतों का अन्त नहीं

Monday, 29 January 2007


 
लगता है कि डा जवाहर शाह और मेरे मध्य छतीस का आंकडा बन चुका है। पिछला पंगा बडी मुशिकल से समाप्त हो ही पाया था और अब यह नया पंगा शुरु हो गया। अब की समस्या इस साफ़्ट्वेएर के PMS यानि patient management system को लेकर है। कई खूबियों के होते हुये भी मै इस साफ़्ट्वेएर के निर्माताओ की कार्य प्रणाली से बिल्कुल भी सन्तुष्ट नही हूँ। मेल पर मेल भेजे जाओ पर जबाब देना उचित नही समझते, Hpathy.com और otherhealth.com पर शिकायतों के पुलिन्दे इकट्ठा हो चुके हैं । लेकिन साफ़्ट्वेएर निर्माता इस बात को नही समझते कि उनके द्वारा प्रदान की गयी सर्विस उनके उत्पाद को कसौटी पर परखने मे सिद्द होते हैं।
समस्या है क्या ?


नीचे दिये गये चित्र इस समस्या को ठीक से समझा सकते हैं।
classic 8
cl
ऊपर आकृति को गौर से देखें:



  • 26-1-2007 को रोगी दिखाने के लिये आया। देखें करसर नं-1


  • पिछली बार रोगी 15-1-2007 को आया था। देखें करसर नं-2


  • चूँकि रोगी को पिछली औषधि से आराम था, इसलिये यह औषधि को दोबारा repeat करना था।


  • इसलिये copy presc को किल्क किया गया। देखें करसर नं-3


  • लेकिन यह क्या, यह तो 15-5-2006 की औषधि को repeat कर रहा है, जब कि मुझे 25-12-2006 की औषधि को देना था।


  • यह क्यों हुआ? इसका कारण साफ़्ट्वेएर तारीखों को गलत ले रहा है। इसको 19-1-2007 की पूर्व तिथि 15-1-2007 को दिखाना चाहिये था, जबकि यह 1-7-2006 को दिखा रहा है।

शुरू -2 तो मुझे लगा यह परेशानी कम्पयूटर मे शायद वाइरस की वजह से हो, वाइरस स्कैन किया , कुछ नही निकला। परसों सोचा कि और चिकित्सकों से भी सम्पर्क किया जाय जो इस साफ़्ट्वेएर को प्रयोग कर रहे हैं और कमोबक्श सब चिकित्सकों की तकलीफ़ PMS को लेकर ही निकली। कल लखनऊ से ही डा पियूष पान्डे जी ने भी इसी समस्या की ओर अपना नजरिया स्पष्ट किया ।
इसी समस्या को लेकर मैने होम्पैथ के ऊतर पदेश वितरक डा पुष्कर से बात की , हर बार की तरह उनका रविया टालू रहा, आने का आशवासन देकर उन्होने तो मेरे कम्पयूटर की यादशात को ही गडबड ठहरा दिया। ( low memory। इस ब्लाग पर इस समस्या को लाने का मेरा कोई इरादा नही था लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि पानी सर से ऊपर गुजर चुका है, एक दो दिन मे फ़िर Hpathy forum और otherhealth के forum मे दोबारा जाने का इरादा बना लिया है।
जवाहर शाह जी, समस्यायें तो सब के साथ आती रहती हैं लेकिन उनका समाधान तो दीजिये, आज 15000 रू लगाने के बाद दूसरे साफ़्टवेएर मे जाने की हिम्मत नही। हाँ, रडार(Radar) दूसरा और अच्छा विकल्प है, कम से कम रडार समय -2 पर लगातार अपडेटस दे कर बग्स (bugs)और दूसरी समस्याओ को दूर तो करता रहता है लेकिन उसको लेने के लिये भी कम से कम 25000/- का चूना तो लगेगा ही। आप देगें क्या?

कम्पलीट रिपर्ट्री (Complete Repertory)

Wednesday, 13 December 2006

वैसे तो कम्पलीट रिपरटरी (complete repertory) होम्योपैथिक साफ़्ट्वेएर क्लासिक 8 के लेने के साथ स्वत: मिल जाती है लेकिन यह एक महँगा निवेश है विशेष कर नये चिकित्सकों के लिये । डा रौजर वान जैन्डवूर्ड ( Dr Roger van Zandvoort) कृत कम्पलीट रिपर्ट्री (complete repertory) को सीधे यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। रूबी साफ़्ट्वेएर नाम से यह साफ़्टवेएर हाँलाकि होमपैथ क्लासिक से भिन्न है, जहाँ होमपैथ क्लासिक रिपरटाराजेशन(repertorisation) करने की सहूलियत देता है वहीं रुबी मूलत: एक reference tool है जिसका मुख्य उद्देश्य कम्पलीट रिपर्ट्री मे से लक्षणों को ढूँढना और देखने तक ही सीमित है। लगभग 158,000+ रुब्रिकस से भरपूर और कई नई होम्योपैथिक औषधियाँ का इसमें समावेश है।
डाउनलोड करने के लिये यहाँ जायें और नीचे दिख रहे करसर पर किल्क करें।
ruby

होम्योपैथिक साफ़्टवेएर-क्लासिक 8 (Homeopathic software-classic 8)

Tuesday, 31 October 2006

क्लासिक 8 और उसके उपयोग
डा प्रभात टन्डन

इसके पहले कि मैं इस साफ़्टवेएर को प्रयोग करने का तरीका और बाद में इससे मिल रहे परिंणामों की जानकारी यहां रखूं , कुछ विशेष बातें। इस समय अधिकतर युवा होम्योपैथिक चिकित्सक repertorisation के लिये साफ़्टवेएर का प्रयोग कर रहे हैं। कुछ जो प्रमुख प्रयोग होने वाले साफ़्टवेएर हैं उनमे मर्क्यूरियस, रडार, क्लासिक, आदि प्रमुख हैं। अन्य होम्योपैथिक साफ़्टवेएर की जानकारियाँ आप यहाँ भी देख सकते हैं। इनमें से क्लासिक 8 अधिकतर चिकित्सक प्रयोग कर रहे है, शायद इसका कारण इसका प्रयोग सरल और वयवाहारिक है। टेक्नोलोजी के बढते हुये दौर मे अधिकतर चिकित्सक साफ़्टवेएर तो ले आये लेकिन उसका सही उपयोग न कर पाये उसका परिणाम यह निकला कि यह सिर्फ़ एक शो-पीस बन कर रह गया। उत्तर प्रदेश की सरकारी होम्योपैथी डिस्पेन्सरियों के तो हाल और भी बुरे हैं। इसी साल "रडार" ( एक और साफ़्टवेएर) और कम्पयूटर की खरीद पर लाखों रूपये खर्च किये गये लेकिन सब ढाक के तीन पात ही निकला, कम्पयूटर है तो लाइट नही और अगर लाइट है तो चिकित्सको मे कोई उत्साह नहीं।
जो छात्र और छात्रायें अपना पहला प्रोफ़ेशनल समाप्त कर चुके हैं वह एक बात अच्छी तरह से समझ लें कि spot prescribing हर बार काम नहीं करती, विशेष कर पुराने और जटिल रोगों मे ,जहाँ लक्षण उलझे हुये होते हैं । आपको अपने केस पर मेहनत करनी ही होगी और यहाँ कोई शार्ट कट नही चलता। case taking और repertorisation एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जिसको आज आपने न सीखा तो बाद के clinical practice के साल आपको रुलायेगें और होम्योपैथी को डुबोयेगें। तो क्या करे आप- कालेज की राजनीति मे पडने की बजाये अपने प्रोफ़ेसर की जान खायें और उनको clinically केस को समझाने के लिये जोर दें। इसके अलावा कुछ फ़ोरम भी आप की सहायता कर सकते हैं। आरकुट मे चल रहे डा प्रवीन गोस्वामी के फ़ोरम Revolutionized Homoeopathy का मै विशेष उल्लेख करना चाहूगाँ जो रोगी के लक्षणों को rubrics मे बदलने का सही तरीका आपको बखूबी समझा सकते हैं और डा नवीन बिदानी की Homoeopathy....Beyond Horizons जो पग-2 आपकी clinical समस्यायों को सुलझाने मे आपकी सहायता कर सकते हैं।

चलिये चलते है क्लासिक 8 की विशेषतायें की ओर:-

cl8

अगर मै शुरु मे हुये पंगों को छोड दूँ तो मै दावे के साथ कह सकता हूँ कि यह एक बेहतरीन साफ़्टवेएर है। तकरीबन 6 महीनो से इसका मै प्रयोग कर रहा हूँ , इसके पहले भी इसका दूसरा वर्जन 7 प्रयोग कर चुका हूँ जो कि वर्जन 8 के मुकबले कई मामले मे कमजोर था।

साफ़्टवेएर ही क्यों:-

यह एक ऐसा प्रशन है जो अक्सर पुराने अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक पूछा करते है कि जब उनका काम बगैर इससे चल सकता है तो इतने तीम झाम मे क्यों पडा जाय्। नीचे एक उदाहरण के तौर मे एक रोगी के लक्षण रख रहा हूँ, जिसको कि साफ़्टवेएर मे डाला गया है।

श्री नरेन्द्र ने अपने लक्षणों को कुछ इस प्रकार रखा, उन्ही की जुबानी:

मुझे सांस फ़ूलने की शिकायत करीब 5 सालों से है। अक्सर मुझे जुकाम य्र छीकें लगी रहती है। साँस ज्यादा लेटने से फ़ूलती है, बैठने से और झुक कर बैठने से आराम मिल जाता है, हाँ , बलगम निकलने से भी आराम मिल जाता है। बन्द कमरे मे बहुत घुटन महसूस होती है। इतना कह कर रोगी चुप हो गया।


और पूछने पर उसने कहा कि

मेरे पैरो के तलवों मे जलन बहुत होती है, पैर की बिवाइयाँ अकसर फ़ट जाती है,और पैर के तलुवे मे कई घोखरू भी निकल आये है। खाने मे मीठा अधिक पसन्द है, और सर्दी मे भी गर्म बहुत लगती है।"



जो लक्ष्ण रोगी ने दिये उनके आधार पर उनके रुबिर्क्स बनाये गये, जो इस प्रकार थे-यह सब लक्षण कम्पलीट रिपर्टरी की मदद से क्लासिक 8 मे डाले गये।

[Complete ] [Nose]Coryza:Asthma, with:
[Complete ] [Generalities]Warmth:Agg.:
[Complete ] [Extremities]Heat:Foot:Sole:
[Complete ] [Extremities]Cracked skin:Feet:Soles:
[Complete ] [Extremities]Callosities, horny:Soles, on:
[Complete ] [Extremities]Callosities, horny:Soles, on:Tenderness:
[Complete ] [Respiration]Difficult:Lying, while:Agg.:
[Complete ] [Respiration]Difficult:Sitting:Amel.:Half sitting amel.:
[Complete ] [Respiration]Difficult:Expectoration:Amel.:
[Complete ] [Respiration]Difficult:Inspiration:Agg.:
[Complete ] [Generalities]Food and drinks:Sweets:Desires:

अब इन रुबरिक्स को साफ़्टवेएर मे डाला गया:जिसके परिणाम कुछ इस तरह रहे:
pk10


गौरतलब है कि लक्षणों को साफ़्टवेएर मे डलने के बाद 336 औषधियाँ लिस्ट मे आई, औषधियों को ग्रेडिग के हिसाब से देखे तो ars,sulp,lyco,calc क्रमश: 15,14,13,12 अंक लेकर क्रमश; 8,7,6,7 लक्षणों को कवर कर रहे हैं। नीचे देखें कि एक ही समय मे चिकित्सक कई विकल्पों पर अपना भ्रम दूर कर सकता है। उदाहरण के लिये, अगर उसको लग रहा है कि ars पूरी तरह से उपयुक्त औषधि नही है , तो वह माउस के पाइन्टर को ars पर रखें और दायें दबाये, नीचे देखें कि कितने विकल्प उसके सामने आरहे हैं-
pk4-1

चित्र मे दिख रहे विकल्प कुछ इस तरह से हैं-

Symptom covered/not covered
Keynotes
Open materia medica
Conv rep to mm
Drug properties
Drug relation
Drug list

सबसे पहले इसी रोगी मे Symptom covered/not covered को देखते हैं-
pk5
दूसरे विकल्प मे Keynotes है, जो औषधि के लक्षणों को संक्षेप मे याद दिलाते है, जैसे-

pk6इसी तरह Open materia medica से अपनी चुनी हुयी औषधि के संबध मे पूरी
जानकारी ले सकते है, नीचे देखें-

pk7

अपनी पिछली दी हुयी औषधि की तुलना अगर नयी औषधि से करना चाहें तो विकल्प के रुप मे Drug relation को किल्क करे, देखे नीचे-


pk9
यह एक repertorisation की सामान्य प्रक्रिया है, कई बार चिकित्सक को सही सीमिलीमम को ढूढनेके लिये काफ़ी दुशवारी होती है, नीचे चित्र मे देखें कुछ और विकल्प मौजूद हैं-

pk11
Hand cursors पर नजर दौडायें।
बायें से पहला करसर सामान्य repertorisation दिखा रहा है।
बायें से दूसरा करसर Drug Filter के विकल्प दे रहा है।
बायें से तीसरा करसर Combine Repertorisation का विकल्प दे रहा है।
बायें से चौथा करसर cross repertorisation का विकल्प दे रहा है।
बायें से पाचँवा करसर Elimination repertorisation का विकल्प दिखा रहा है।
pk10
सामान्य repertorisation
drug filter
Drug Filter
combine
Combine Repertorisation
cross
cross repertorisation
elimination
Elimination repertorisation

यह सब झमेले पुराने और जटिल रोगों के लिये अधिक रहते हैं, नये रोगों मे quick repertorisation का तरीका अधिक कारगर होता है।
आज बस इतना ही। आगे और भी चर्चा करगें-क्लासिक 8 के बारे मे विस्तार से।