नये रोगों(Acute Diseases) मे मदर टिन्चर के प्रयोग और कई महत्वपूर्ण डाऊनलोड लिंक

Monday 26 March, 2007

नये रोगों मे सही सिमिलिमम का चयन करना होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिये और विशेष नये चिकित्सक के लिये हमेशा एक सरदर्द सा रहता है । पुराने रोगों (Chronic Diseases)मे सिमिलिमम को रिपरटारिज करके चयन के लिये पर्याप्त समय होता है लेकिन नये रोगों मे एक चिकित्सक के पास इतना समय नही होता कि वह सही सिमिलिमम का चयन करे और उसका नतीजा कि आरम्भ मे ही रोगी का विशवास अपने चिकित्सक से ऊठ सा जाता है। बहुत से होम्योपैथिक चिकित्सक मदर टिन्चर का प्रयोग करके अपनी इस मुसीबत से काफ़ी हद तक छुटकारा पा रहे हैं। मदर टिन्चर यानी औषधि का मूल रूप का प्रयोग , हाँलाकि होम्योपैथी के सिद्दातों से बहुत हद तक इसकी पटरी नही खाती लेकिन फ़िर भी इनके निष्कर्ष जल्दी आते हैं। और सबसे बडी बात यह कि इनमे एक रोगी के लक्षणों को औषधि के लक्षणों से मिलाने की कोई बहुत अधिक आव्शय्कता नही पडती ।
मदर टिन्चर के प्रयोगों पर कोई बहुत अधिक संग्रह पुस्तकों का नही दिखता , Anshutz की New , Old & Forgotten Remedies ( प्रकाशक-Indian Books & Periodicals Syndicate ) , डा घोष की Drugs Of Hindustaan , Erlie Jones और यदुवीर सिन्हा की मदर टिन्चर पर पुस्तक थोडी बहुत जानकारी अवशय देती है, लेकिन Anshutz की New , Old & Forgotten Remedies और डा घोष की Drugs Of Hindustaan को छोडकर बाकी पुस्तकें जानकारी के मामले मे अपर्याप्त ही है ।
फ़ेल्टर की कम्पलीट मैटेरिया मेडिका टिन्चर प्रेमियों के लिये एक वरदान सी है। कल पाकिस्तान के डा मन्सूर अहमद ने यह महत्वपूर्ण लिंक भेजा है। सम्पूर्ण पुस्तक यहाँ से डाऊनलोड करें और पुस्तक को आनलाइन यहाँ पर देखें.

Arizona South West School Of Botanical Medicine के माइकल मूर ने फ़रवरी 1-2007 को साईट को अपडेट किया है, कई महत्वपूर्ण लिंक इस पेज पर है जो होम्योपैथिक चिकित्सकों के काफ़ी काम आ सकते हैं।

इसके अलावा शिकागो के Ellingwood की थेरापियूटिक्स और मैटेरिया मेडिका को भी Acrobat .pdf files मे यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं और अगर इसको html मे देखना चाहें तो यहाँ देख सकते हैं।
ईलिगवूड की थेरापियूटिक्स के महत्वपूर्ण ग्रुप नीचे दिये हैं:



the.gif
Group I - Agents Acting on the Nervous System - 205 pages - 432K
1-1-Antipyretics.pdf
1-2-Analgesics.pdf
1-3-Sedatives.pdf
1-5-Minor nerve tonics.pdf
1-7-Reproductive Sedatives.pdf
2-1-Nerve Stimulants.pdf
2-2-Alcohol-antimalarials.pdf
2-3-Circulatory Stimulants.pdf
3-1-Tonic Stimulants.pdf
3-2-Sedative Stimulants.pdf
Antipyretics chart.pdf - 20k

Group II - Agents Acting Upon the Heart - 40 pages - 92K
1-Heart Agents.pdf
2-Heart Agents.pdf
Heart Remedy Chart.pdf

Group III - Agents Acting Upon the Respiratory Tract - 53 pages - 120K
1-Nauseating Expectorants.pdf
2-Mucosa Stimulants.pdf
3-Mucosa Stimulants.pdf
4-Sedatives and Tonics.pdf
5-Sedatives and Tonics.pdf

Group IV - Agents Acting upon the Stomach - 57 pages - 128K
1-Stomachics.pdf
2-Minor Stomach Tonics.pdf
3-GI Sedatives.pdf
4-Anti-emetics.pdf
5-Emetics.pdf
7-Digestives.pdf

Group V - Agents Acting upon the Intestinal Glandular Organs and the Canal - 84 pages - 188K
1-Laxatives-Cathartics.pdf
2-Liver Stimulants.pdf
3-Mild Liver Stimulants.pdf
4-Hydragogue Cathartics.pdf
6-Intestinal Astringents.pdf
7-Astringent Tonics.pdf
8-Hemostatic Astringents.pdf
Liver Herb Chart.pdf

Group VI - Agents Influencing the Character of the Blood - 90 pages - 204K
1-Antiseptic Alteratives.pdf
2-Glandular Alteratives.pdf
3-Special Glandulars.pdf
4-Antiseptic Alteratives.pdf
5-Special Alteratives.pdf
6-Antirheumatic Alteratives.pdf

Group VII - Agents Acting Upon the Genitourinary Organs - 62 pages - 140K
1-Renal Stimulants.pdf
2-Renal Stimulants.pdf
3-Stimulant-Sedatives.pdf
4-Sedatives-Correctives.pdf
5-Renal Correctives.pdf
6-Renal Correctives.pdf
7-Special remedies.pdf

Group VIII - Agents Used for Their Influence Upon the Skin - 19 pages - 56K

Group IX - Agents Acting upon the Female Reproductive Organs - 22 pages - 60K
Reproductive Herb Chart.pdf

Group X - Agents Acting upon Intestinal Parasites-Anthelmintics - 10 pages - 32K

कम्पयूटर को जल्दी खोलने और जल्दी बन्द करने का उपाय

Monday 19 March, 2007

कुछ दिन पूर्व सागर भाई ने कम्पयूटर को जल्दी बन्द करने और रिस्टार्ट करने का जुगाड बताया था। इधर मै अपनी क्लीनिक और घर दोनो ही के कम्पयूटर मे यह जुगाड चला रहा था। लेकिन कम्पयूटर की विन्डोज को खुलने और लोड लेने मे शुरू मे काफ़ी समय लग जाता था और इसका अभी तक मेरे पास कोई भी समाधान नही था। कल मेरे मित्र मोहित ने इस समस्या का निदान चुटकी मे कर दिया । आप भी कर सकते है अगर आप के कम्पयूटर की विन्डोज ( XP) खुलने मे समय ले रही हो।
1- सबसे पहले तो यह सुनिशिचित कर ले कि आप के कम्पयूटर की रैम कम से कम 256 हो।
2- डेस्कटाप पर rt click करें--properties पर जायें--screensaver पर किल्क करें--नीचे देखें power का विकल्प दिख रहा है--
2
3-power पर किल्क करें---power options properties पर जायें----hibernate पर किल्क करें---enable hibernate बाक्स को चेक कर दें----apply करे और ok कर दें।
3

3- Power options properties को दोबारा किल्क करें ----advanced पर जायें----when I press the power button on my compuer मे विकल्प मे hibernate पर किल्क करें----apply और ok कर दें।
4
4- अब आपका कम्पयूटर hibernation के लिये बिल्कुल तैयार है।
5- अपने कम्पयूटर को शट डाउन करते समय hibernate के विकल्प को देखते गुये किल्क करें।
1
6- कम्पयूटर को दोबारा स्टार्ट करें , और अब देखें कि आपका पी सी कितनी द्रुत गति से खुल रहा है।

होम्योपैथी मे MD करने के विकल्प

Friday 16 March, 2007

कुछ दिन पूर्व मुम्बई से जूही जो B.H.M.S. अन्तिम वर्ष की छात्रा हैं ,पूछा था कि B.H.M.S करने के बाद होम्योपैथी मे MD psychiatry करने के लिये क्या-2 विकल्प हैं।
जूही
hello sir..actually m a final year BHMS student..i'm intersted in doin sumthing in pschiatry after dis..cud plz guide me a little bout it n wether there's MD psychiatry after BHMS?


जूही की तरह और भी होम्योपैथिक छात्र और कई चिकित्सक संभवत: उत्सुक होगें कि होम्योपैथी मे MD किन -2 विषयों मे और किन होम्योपैथिक मेडिकल कालेज से कर सकते हैं ।
MD ( होम्योपैथी ) 3 वर्षीय कोर्स है जो B.H.M.S करने के बाद इनमे से किसी 1 विषय मे कर सकते है
Materia Medica
Organon of Medicine
Repertory
Pharmacy
Practice of Medicine
Psychiatry
Pediatrics
MD (होम्यो) करने के लिये संबन्धित होम्योपैथिक कालेजों की लिस्ट नीचे दी गयी है । इनमे से central council ने 5 सरकरी कालेजों और 12 प्राइवेट कालेजों को अधिकृत किया है ।
सरकारी कालेज ( Govt. Colleges) :-

1-J. S. P. S. Govt. Homoeopathic Medical College, Ramanathapur, Hyderabad- University of Health Sciences, Vijaywada, Andhra Pradesh.
2-Govt. Homoeopathic Medical College, Irnamuttam, P.O. Manacaud, Thiruvananthapuram- I, - Kerala University, Thiruvananthapuram, Kerala
3-Govt. Homoeopathic Medical College, Karaparamba, Calicut, (Kozhikode)- Calicut University, Calicut, Kerala
4-Dr. Abhin Chandra Govt. Homoeopathic Medical College and Hospital, Unit- III, Kharvela Nagar, Bhubaneshwar, Distt. Puri, Utkal University, Bhubaneswar,Orissa.
5. National Institute of Homoeopathy, Block- GE, Sector- III, Salt Lake, Calcutta, Govt. of India.

प्राइवेट कालेज:
1-Bakson Homoeopathic Medical College & Hospital, (Dr. Kirpal Singh Bakshi Memorial Trust) D-6, Sector-10, NOIDA, UP- Rajasthan Vidyapeeth (Deemed University)
2-Jahangir Memorial Charitable Hospital Society Shri Sai Nath P. G. Institute of Homoeopathy, 109/4, Jawaharlal, Nehru Road, George Town, Allahabad, UP.
3-Dr. Madan Pratap Khuteta Rajasthan Homoeopathic Medical College, Vanasthali Marg, Station Road, Jaipur, Rajasthan- Rajasthan University, Jaipur.
4-Dr. M. L. Dhawale Memorial Trust, 40 Parekh Street, St. Girgaum, Mumbai- 400001, Maharasthra
5-Sonajirao Kshirsagar Homoeopathic Medical College, Vidhya Nagar, College Road (W), Beed-431122- Maharashtra University of Health Sciences, Nashik.
6. Shri Bhagwan Homeopathic Medical College and Indira Gandhi Memorial Hospital, CIDCO N- Aurangabad- 431003- Maharashtra University of Health Sciences, Nashik.
7. Kaka Saheb Mhaske Homoeopathic Medical College, Nagapur, Ahmednagar- 414111, Distt-Pune- Maharashtra University of Health Sciences, Nashik.
8. Bhartesh Homoeopathic Medical College, Dharwar Road, Belgaum- 590016, Karnataka-Rajiv Gandhi University of Health Sciences, Bangalore.
9. A. M. Shaikh Homoeopathic Medical College, Nehru Nagar, Belgaum, Karnataka- Rajiv Gandhi University of Health Sciences, Bangalore.
10-Fr. Muller’s Homoeopathic Medical College, Kankanady, Mangalore- 575002, Karnataka, Rajiv Gandhi University of Health Sciences, Bangalore.
11. Homoeopathic Medical College and Hospital, Medical College Campus, Gulbarga-585105, Karnataka – Rajiv Gandhi University of Health Sciences, Bangalore.
12. Dr. V. H. Dave Homoeopathic Medical College and Smt. S. I. Patel(Ipcowala) Homoeopathic Hospital, Hahnemann House, Amul Dairy Road, Anand- 388001, Dist- Kheda, Gujarat- Sardar Ballabh Bhai Patel University, Ballabh Vidhya Nagar

चलते-२ ताजा खबर :
दैनिक जागरण दिनाकं ९-६ -२००७

अब ऊत्तर प्रदेश मे भी पी जी के लिये रास्ता साफ़ ;देखें खबर , "26 साल बाद याद आये होम्यो कालेज "

लखनऊ, 8 जून (जागरण ब्यूरो) : प्रांतीयकरण के छब्बीस साल बाद अंतत: सरकार ने बदहाल होम्योपैथिक कालेजों की सुध ली। सात राजकीय कालेजों में केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (सीसीएच) के मानकों के अनुरूप शिक्षकों के 194 तथा शिक्षणेत्तर स्टाफ के 404 नये पद सृजित किये गये हैं।
शिक्षकों के अभाव में इन कालेजों की बीएचएमएस डिग्रियों की मान्यता पर हमेशा सीसीएच की तलवार लटकी रहती थी। बहरहाल, पर्याप्त पद सृजन के बाद लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद होम्योपैथिक कालेजों में पीजी पाठ्यक्रम शुरू होने का भी मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रदेश में सात राजकीय होम्योपैथिक कालेज लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, मुरादाबाद, फैजाबाद, गाजीपुर और आजमगढ़ में हैं। प्रदेश सरकार ने 1981 में इन कालेजों का निजी क्षेत्र से प्रांतीयकरण किया था लेकिन मानकों के अनुरूप शिक्षकों व गैर शिक्षकों के पद सृजित नहीं किये। केंद्रीय होम्योपैथी के मानकों के हिसाब से प्रत्येक कालेज में तेरह प्रोफेसर तथा पंद्रह-पंद्रह रीडर व लेक्चरर के हिसाब से 43 शिक्षक होने चाहिये। जाहिर है कि सात कालेजों में 91 प्रोफेसर, 105 रीडर तथा 105 लेक्चरर सहित कुल 301 शिक्षक होने चाहिए। इसके विपरीत इन कालेजों में सिर्फ 146 पद स्वीकृत थे। इनमें प्रोफेसर और रीडर के सिर्फ दस-दस पद थे यद्यपि लेक्चरर के मानक से कहीं अधिक 126 पद स्वीकृत थे। यह अलग बात है कि इस समय सिर्फ दो प्रोफेसर, तीन रीडर तथा 75 लेक्चरर ही कार्यरत हैं। जाहिर है कि 301 के मानक के विपरीत सिर्फ 80 शिक्षक कार्यरत हैं। कमोबेश ऐसे हालात पिछले छब्बीस सालों से जारी थे। इन हालात में केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद पिछले कई सालों से मानकों के अनुरूप पद सृजित करने के लिए दबाव डाल रही थी। मौजूदा कार्यवाही सीसीएच के दबाव का ही नतीजा है। सरकार ने प्रोफेसर के 81 तथा रीडर के 95 नये पदों के अलावा लखनऊ, कानपुर व इलाहाबाद कालेजों में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने के मानकों की पूर्ति करते हुए प्रोफेसर व रीडर के नौ-नौ अन्य पद सृजित किये हैं। प्रदेश के किसी भी राजकीय कालेज में फिलहाल पीजी पाठ्यक्रम नहीं चल रहे हैं। इसी के साथ सरकार ने इन कालेजों से सम्बद्ध अस्पतालों के संचालन के लिए चिकित्साधिकारियों, पैरा मेडिकल कर्मचारियों तथा गैर चिकित्सीय स्टाफ के भी 404 पद सृजित किये हैं। क्लीनिकल प्रशिक्षण की दृष्टि से सम्बद्ध अस्पताल किसी भी मेडिकल कालेज का अपरिहार्य अंग होते हैं।
वास्तव में अस्पताल की स्थापना बगैर कालेज संचालन की अनुमति ही नहीं मिलती लेकिन प्रदेश के किसी भी राजकीय होम्योपैथिक कालेज में इनडोर विभाग नहीं थे। बहरहाल, अब सूरत-ए-हाल बदलने की उम्मीद जगी है।

updated 11-6-2007

Relationship of Homeopathic Medicines

Saturday 10 March, 2007

अक्सर मैने क्लीनिकल प्रकैटिस मे कई रोगियों पर डा नैश और डा केन्ट के सुझायी गयी तिकडी को कामयाबी के साथ प्रयोग किया है.
डा नैश ने इस तिकडी को regional trios कहा और इसी तरह डा केन्ट ने भी तीन दवाओं की तिकडी के ११ ग्रुप बनाये जिनको अगर औषधि को रोग से मिलते हुये लक्षणों के समतुल्य दिया जाये तो इनके परिणाम आशचर्यजनक निकलते हैं.
डा नैश की तिकडी (trios)

डा केन्ट की तिकडी
Aco, puls, sil
Coloc, caust, staph
Caust, colocy; staph
Merc ; hep ; sil
Puls ; sil ; kali s
Sulp ; calc ; lyco
Sulp ; saras ; sepia
Arn ; rhus tox ; calc
Aco ; hep ; spong
Sulph ; ars ; sulph
Puls ; sil ; acid

फ़ंसना फ़साना सीरीज - वह ५ प्रश्न

Sunday 4 March, 2007

यह श्रीश ने भी मुझे कहाँ फ़ँसा दिया , आप तो टैग लगा के महोदय खिसक गये और तो और दो दिन पहले चैट रुम मे याद भी दिला गये कि भाई लिखना जरुरी है और खिसकना गुनाह ! खैर जब इतने एहतराम से बाँध ही दिया तो जबाब देने मे भलाई है। हाँ , कल समीर जी भी कुछ अलग तरह के टैग के बारे मे कह रह थे। अब यह टैग श्रीश के टैग से अलग है यह मुझे समझ मे नहीं आया, हो सकता है पिछली किसी पोस्ट मे जिक्र किया हो लेकिन इधर कुछ दिनों से नारद पर जाने का बहुत मौका नहीं मिला, एक तो मेरे पुत्र के सी बी एस सी बोर्ड के परीक्षायें होने के कारण घर पर नेट कनेक्शन कटवा के यहाँ क्लीनिक मे लगवाया लेकिन यहाँ काम मे व्यस्तता के कारण इतनी नेट की गतिविधियाँ संभव नही होती। हाँ , अलबत्ता आज मौका होली की छुट्टी के कारण अवशय लगा है और जाहिर है इसका सदुपयोग पूरा का पूरा कर रहा हूँ। कल रात क्लीनिक से निकलने के पहले पोर्टेबल फ़ायर फ़ाक्स की स्क्राप बुक मे आज के लिये कई दिन पुराने चिट्ठों को पढने के लिए सुरक्षित किया ।
वैसे कल छोटी होली के दिन मूड सुबह से ही घर पर नेट कनेक्शन न होने से बहुत खिन्न था, लेकिन जब दोपहर को अनूप जी का फ़ोन आया तो बहुत ही अच्छा लगा, हिन्दी चिट्ठाकारिता मे यही एक खास बात है कि प्रेम रूपी धागे से हिन्दी चिट्ठाकारी के वरिष्ठ सदस्य जीतू भाई , सृजन जी , अनूप जी , उन्मुक्त जी और समीर जी ने अपने कनिष्ट सदस्यों को बाँधा है इसकी मिसाल मुझे अंग्रेजी चिट्ठाकारी मे नहीं मिलती । आप सब चिट्ठाकारों को होली की बहुत-2 बधाई और अब देखूं कि श्रीश क्या फ़रमा रहे हैं :
१. कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग के बारे में सबसे पहले आपने कब सुना और कैसे, अपने कम्प्यूटर में हिन्दी में सबसे पहले किस सॉफ्टवेयर में/द्वारा टाइप किया और कब, आपको उसके बारे में पता कैसे चला ?
मुझे हिन्दी टाइपिंग के आसान औजारों के बारे मे कुछ भी नहीं मालूम था , कई साफ़्टवेएर आजमाये, सबसे पहले तो पुराने रेमिंटन तरीके से टाइप करने की सोची लेकिन वह तरीका बहुत ही उबाऊ लगा। याहू पर हिन्दी फ़ोरम का सदस्य तो बना और वहाँ साफ़्ट्वेएर का जो लिंक दिया गया उसमे भी मजा न आया। शुएब और जीतू भाई को मेल कर के आसान औजार पूछे लेकिन तब तक मै गूगल पर दोबारा सर्च करने पर श्री देवन्द्र पारख जी का हिन्दी राइटर पा चुका था , अब इसको चलाने कि समस्या थी तो एक दिन जीतू भाई ने याहू मेसेन्जर पर इसको चलाने कि विधि बतायी और तब जा कर तलाश पूरी हुई । जीतू भाई के साथ यह वार्तालाप मैने याहू 360 पर धरोहर के रुप मे रखी है , मुझ जैसे अनाडी की हिदी सीखने की कवायद देखें और मजा लें।


एक दोपहर जितेन्द् चैाधरी के साथ
Jitendra Chaudhary: namaskar ji
prabhat tandon: jitendra ji namaste apke blogs ka avlokan kar ajeeb si sukhad anubhuti hoti hai
Jitendra Chaudhary: dhanyavad
prabhat tandon: mujhe ise bhi khushee tab hoti jab main yeh mail hindi me likh raha hota
Jitendra Chaudhary: to likhiya na
Jitendra Chaudhary: aap yahoo par hai na
prabhat tandon: ha hoon
Jitendra Chaudhary: तो फिर
Jitendra Chaudhary: हिन्दी मे क्यों नही लिख़ पा रहे?
prabhat tandon: kaise likhoon type karne se eng type hota hai
Jitendra Chaudhary: ye leejiye
Jitendra Chaudhary: http://devendraparakh.port5.com/
Jitendra Chaudhary: yahan se download kariye
prabhat tandon: waiise maine abhi hindi writer download kar ke install kiya hai usme help ki kloi file nahin hai kaise use karoon
Jitendra Chaudhary: usme jaise hi aap run karoge
Jitendra Chaudhary: neeche "अ" लिख़ा हुआ आयेग
Jitendra Chaudhary: आयेगा
Jitendra Chaudhary: उसको क्लिक करियेगा
prabhat tandon: hai ayea
Jitendra Chaudhary: तो Show Keyboard map
Jitendra Chaudhary: aayega
prabhat tandon: hai hai
Jitendra Chaudhary: उसको देख़ियेprabhat tandon: ab kya karoon
Jitendra Chaudhary: बस लिख़िये
Jitendra Chaudhary: मजे से
Jitendra Chaudhary: yahoo par sirf yahi chalta hai
Jitendra Chaudhary: ek aur option hai
Jitendra Chaudhary: BARAHA
prabhat tandon: baraha kya
Jitendra Chaudhary: www.baraha.com
Jitendra Chaudhary: is se aap kai bhashaon mein likh sakte hain
Jitendra Chaudhary: lekin ye yahoo par nahi chalta
Jitendra Chaudhary: isme help file kaafi achhi hai
Jitendra Chaudhary: http://baraha.com/html_help/sdk_docs/devtrans_eng.htm
prabhat tandon: key board map se kaise likhoon usme bhi to eng type hota hai
Jitendra Chaudhary: matlab
prabhat tandon: map ke hisab se likh kar kya trnslator ko press karoon
Jitendra Chaudhary: nahi bhai
Jitendra Chaudhary: aap seedhi seedhi likhna shuru kariye
Jitendra Chaudhary: Yahoo messenger ke ander
Jitendra Chaudhary: dekhiye
Jitendra Chaudhary: neeche "अ" kaa rang kaun sa hai?
prabhat tandon: ग्रेएन
Jitendra Chaudhary: theek hai
Jitendra Chaudhary: bas likhna shuru kariye
Jitendra Chaudhary: aa to gaya na
prabhat tandon: अरे येह हिन्दि मे त्य्पे कैसे हो गय
Jitendra Chaudhary: yahi to kamaal hai
Jitendra Chaudhary: bas thora samay lagega
prabhat tandon: अप्ने कैसे किय
Jitendra Chaudhary: maine kahan kiya
Jitendra Chaudhary: aapne kiya sab
prabhat tandon: green se matlab kya
Jitendra Chaudhary: agar green hai to Hindi mein likhega
Jitendra Chaudhary: agar RED hai to English mein
prabhat tandon: oh yeh baat hai phir se try karta hoon
Jitendra Chaudhary: usme Toggle Transilator hai
Jitendra Chaudhary: usko click karne se Hindi/Englsh par switch kar sakte hain
Jitendra Chaudhary: SHIFT+PAUSE is the toggle key
prabhat tandon: toggle translator matlab
Jitendra Chaudhary: hindi 2 english and englsh 2 hindi switching
prabhat tandon: ाब संम्झ आया
Jitendra Chaudhary: ab is se aap kanhi bhi likh sakte ho
prabhat tandon: Thank u jitendra ji hum phir milenge abki correct hindi ke saath namaste
Jitendra Chaudhary: namskar


२. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में कैसे पता लगा, पहला हिन्दी चिट्ठा/पोस्ट कौन सा पढ़ा/पढ़ी ? अपना चिट्ठा शुरु करने की कैसे सूझी ?

हिन्दी लिखने का ही मुझे शौक था, चिट्ठाकारी का तो बिल्कुल नहीं , मैने तो हिन्दी मे कभी निबंध तक नहीं लिखे , हाई स्कूल और इन्टर बोर्ड की परीक्षाओं मे कुछ महत्वपूर्ण निंबध रट के जाता था। लेकिन जब जीतू भाई ने मुझे चिट्ठा लिखने को प्रेरित किया तो मै बडी दुविधा मे पडा कि मै क्या लिखूं , फ़िर मेरी फ़ील्ड होम्योपैथी को देखते हुये उन्होने ही राय दी कि इसी से ही पोस्ट शुरु करें। और जाहिर है कि जीतू भाई और शुएब से मैने हिन्दी चिट्ठा पढने की शुरुआत की । शुएब के चिट्ठों से मै बहुत प्रभावित था और शायद इसका कारण यह भी रहा कि मेरे धर्म संबधी अपने विचार शुएब के विचारों से मेल खाते प्रतीत होते थे। यह बात अलग कि मै हिन्दू धर्म की कुरीतियों से खिन्न था और शुएब अपने धर्म की । लेकिन वक्त गुजरने के साथ मुझे यह पक्का यकीन हो गया है कि धर्म ही मानवता का सबसे बडा दुशमन है।

३. चिट्ठा लिखना सिर्फ छपास पीडा शांत करना है क्या ? आप अपने सुख के लिये लिखते हैं कि दूसरों के (दुख के लिये ;-) क्या इससे आप के व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन या निखार आया ? टिप्पणी का आपके जीवन में क्या और कितना महत्त्व है ?

दूसरों के दु:ख के लिये तो बिल्कुल ही नहीं , हाल की कई पोस्टों को मुझे हटाना पडा क्योंकि उनको पढने के बाद मुझे बाद मे लगा कि मुझे नहीं लिखना चाहिये या किसी का नाम नहीं खसीटना चाहिये । चिट्ठा लिखना भले ही अपनी छपास पीडा को शांत करना भी हो तब भी श्रीश आप स्वंय देखो कि आप तकनीकी क्लास लगा के हम सब को बिना माँगे सब कुछ दे रहे हो जो हम घंटो नेट पर सिर खपाने के बावजूद नहीं ढूंढ पाते । इसी तरह रवि जी, उन्मुक्त जी और भी अन्य चिठ्ठाकार जो आज दे रहे हैं, वह शायद कल की नींव ही बनेगा। होम्योपैथी से संबधित चिट्ठे से होम्योपैथिक कालेज से निकलने वाले नये चिकित्सकों को मै बहुत कुछ दे सकता हूँ जो उन्हें पुस्तकों मे नहीं मिलेगा , हो सकता है कि आज इसकी उपयोगिता वह न समझें लेकिन आने वाला कल इससे लाभान्वित होगा ऐसा मुझे विशवास है।
रही बात टिप्पणी की, बिल्कुल जरुरी है क्योंकि टिप्पणी के बगैर तो ब्लाग बिल्कुल सूना-2 लगता है।



४. अपने जीवन की कोई उल्लेखनीय, खुशनुमा या धमाकेदार घटना(एं) बताएं, यदि न सूझे तो बचपन की कोई खास बात जो याद हो बता दें।
बहुत सी , लेकिन प्रैकिट्स जब मैने 1986 मे शुरु की तब मेरी इन्टर्नशिप चल रही थी और विधिवत मुझे डिग्री नहीं मिली थी । प्रैकिटिस तो बिल्कुल शुरुआती दौर मे थी और कोई खास भी नहीं । इतवार को उस वक्त मै क्लीनिक खोलता था जबकि अधिकतर चिकित्सक छुट्टी रखते थे । एक इतवार की ही शाम को एक दम्पति अपने एक महीने के बच्चे को दिखाने के लिये लाये , उसकी हालत बहुत ही नाजुक थी और संभवत: वाइरल निमोनिया से पीडित था । कई ऐलोपैथिक चिकित्सकों का इलाज चल चुका था और दो दिन से वह किसी प्राइवेट नर्सिगं होम मे था । एटींबायोटिक , ब्रान्कोडाइलेटर और नेबुलाइजर के लगने के बावजूद भी उसकी हालत मे सुधार नही हो पा रहा था। मै वह केस लेना नही चाहता था, इसका एक खास कारण होम्योपैथी का नये रोगों मे कोई ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा नही था और दूसरा कि मेरी इन्टर्न्शिप चल रही थी। बावजूद इस बात को समझाने के वह दम्पति जाने को टस से मस न हुये , उस रात शायद मैने लाइकोपोडियम 30 और आयोडियम दी थी। अगली सुबह जब मै देर से क्लीनिक आया तो बाहर बहुत भीड लगी थी, मेरी तो हवा निकल गयी, मन ही मन अपने आप को कोसा। अन्दर क्लीनिक मे आया और डरते-2 पूछा कि क्या हुआ । जब उसके परिवारजनो ने बताया कि बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है और वह दवा को लेने आये हैं तो शायद उस क्षण को भुला पाना मेरे लिये आज तक नामुनिकन है।

५. यदि भगवान आपको भारतवर्ष की एक बात बदल देने का वरदान दें, तो आप क्या बदलना चाहेंगे/चाहेंगी ।

हर धर्म को चारदीवारी तक रखा जाये । धर्म इन्सान की व्यक्तिगत पूँजी है, वह किस मत को माननेवाला है , इससे फ़र्क नहीं पडता लेकिन धर्म को छूट देनी बिल्कुल रोक देनी चाहिये । भारत के नियम कानून भारतवासियों के लिये होने चाहिये न कि किसी धर्म विशेष के लिये।
बस इतना ही ।

अब मै किसको फ़ाँसू, हाँ, जीतू भाई
और शुएब
ही ठीक रहेगें । तो चन्द प्रश्न इनसे :
1- चिट्ठाकारी मे आप कैसे फ़ँसे ?
2- जब आप चिट्ठाकारी मे आये होगें तब हिन्दी लिखने के इतने औजार भी नहीं थे, तब उस वक्त किन साफ़्ट्वेएरों का प्रयोग करते थे?
3- आप दोनों बाहर दूर देश मे हैं , वहाँ के व्यक्तिगत अनुभव क्या रहे हैं?
4- और कोई भी रोचक संस्मरण बतायें?