चन्द लम्हों की ब्लागरिया मुलाकात

Thursday 28 June, 2007

शनिवार को दोपहर मे अचानक क्लीनिक मे जब मोबाइल ने ध्यान भंग किया तो उधर से आवाज आई , "मै बोल रहा हूँ , पहचाने ? " और फ़टाक से बिजली की तरह आवाज को आखिर पहचान ही लिया , यह आवाज अनूप शुक्ल जी यानि फ़ुरसतिया जी की थी . हाँ , कुछ दिन पहले होली पर ही तो इसी अन्दाज मे बात हुई थी . कहने लगे , " अरे मै कल सुबह लखनऊ आऊगाँ और आपसे और पानी के बताशे "अनुराग भाई " से भी मिलने आऊगाँ." मैने सुबह अनूप जी से कहा कि आप पहले मेरे यहाँ आ जायें , फ़िर उसके बाद हम दोनो अनुराग जी के यहाँ चलेगें. लेकिन दोपहर को अनुराग ने फ़ोन पर कहा कि समय बरबाद करने से क्या फ़ायदा , हम लोग एक ही जगह यानि मेरे निवास पर मिलते हैं.
तो इस तरह शुरु हुई यह छोटी सी ब्लागारिया मुलाकात . मेर्री पत्नी ’अनिका ’से दोनो का परिचय हुआ और यह जानकर कि अनिका कानपुर से ही हैं ,अनूप भाई तो कुछ अधिक ही खुश दिखे , इन कानपुरियों के साथ बस यही दिक्कत है , जहाँ कानपुरिये देखे बत्तीसी दिखा दी :lol: :lol: :lol:
लेकिन अनूप भाई की खुशी अधिक देर तक कायम न रह पायी क्योंकि अनुराग ने अनूप जी को कानपुर का होने के नाते भाई का दर्जा दे दिया और अपने को देवर का . अब अनूप जी के सामने परेशानी कि बहन के आयें हैं तो खायें कैसे ? सबसे नीचे देखिये कि बेचारे कितने दुखी दिख रहे हैं . :(
खैर मान मनौवत के बाद उनको खाने को राजी कर ही लिया :idea: . नारद , जीतूभाई , समीर जी , अफ़लातून जी , पंकज और संजय बेगाणी , प्रमेन्द्र , शुएब और हमारे सम्मानित मास्साब के बारे मे खुल कर चर्चा हुई. शाम कैसे आ गयी , मालूम नही पडा , लेकिन मुझे तो क्लीनिक के लिये खिसकना था और इसके बाद यह दोनो अगले दो घटॆं तक सुना है किसी पेड के नीचे बिल्लागिरी करते पाये गये . 8O :roll:

अनूप �ाई, मै और अनुराग �ाई
अनूप भाई , मै और अनुराग जी
अनूप जी और अनुराग
अनूप जी और अनुराग
अनूप जी और मेरी पत्नी ’अनिका’
अनूप जी और मेरी पत्नी ’अनिका’

टेफ़लोन और एलर्जी

Tuesday 26 June, 2007

टेफ़लोन तवे आम तौर से प्रयोग होने वाले टेफ़लोन की पर्त चढे नान स्टिक तवे आजकल गृणियों की पंसद बन चुके हैं. लेकिन अब सावधान हो जायें , क्या यह टेफ़लोन आप के जीवन मे समस्या पैदा कर सकता है ? हाँ , शायद , शोध तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं.
वैसे तो टेफ़लोन उच्च तपमान को बर्दाशात कर सकता है लेकिन अधिक तापमान पर इसकी पर्त टूट भी सकती है और फ़ल्स्वरुप परफ़्लूरो-औकटोनैक नाम का अम्ल खाने मे मिल सकता है. परफ़्लूरो-औकटोनैक अम्ल के चूहों पर किये गये प्रयोग दिखाते हैं कि इस अम्ल मे दमा के लक्षण उत्पन्न करने की क्षमता है . मौजूदा दौर मे जहाँ लगभग आठ बच्चों मे से एक दमा से पीडित है , यह सर्वेक्षण और शोध दमे के कारणों की ओर महत्वपूर्ण इशारा करते हैं. पूरी जानकारी के लिये देखे डेली मेल की यह रिपोर्ट
इसके पहले सन २००१ मे भी शोधकर्ताओं ने नान -स्टिक तवों से होने वाले नुकसान के बारे मे चेतावनी दी थी. देखे यहाँ