धरा रह गया धन तो कैसे हो उत्तर प्रदेश मे होम्योपैथी का विकास !!

Tuesday, 13 January 2009

साभार : दैनिक हिन्दुस्तान दिनांक : १२-१-२००९
 
चिकित्सा क्षेत्र मे व्याप्त यह  बदरंग तस्वीर उत्तर प्रदेश के अलावा और किसी प्रदेश की
हो ही नही सकती । लेकिन बात होम्योपैथी की : दिसम्बर तक के वित्तीय आँकडॊ पर नजर दौडायें होम्योपैथिक के लिये बजट १८.६६ करोड , लेकिन खर्च सिर्फ़ २.३५ करोड हुये ; शीर्ष पर बैठे होम्योपैथी के आलाकमान यानी डाइरेक्टर  होम्योपैथी को शायद होम्योपैथी की दुर्दशा और हालात नही दिखते । दवा विहीन अस्पताल , पर्याप्त लेक्चर विहीन होम्योपैथिक कालेज , संसाधनों को रोते खीजते कालेज , पी.जी. कोर्स के लिये तरसते होम्योपैथिक चिकित्सक शायद इस आस मे बैटॆ हैं कि कभी उनके दिन बहुरेगें । लेकिन इन नपुसंक होम्योपैथिक अधिकारियों के होते भविष्य मे  होम्योपैथिक के दिन सवरेगें ऐसा बिल्कुल भी नही लगता ।

6 comments:

राज भाटिया said...

भारत मै हर तरफ़ यही हाल है, किस किस संसथान को रोये

dr sanjeev agarwal said...

still donot loose heart.
HOPE THEREMAY BE EVERY THING ALLRIGHT SOONER OR LATTER.

विनय said...

आपका होम्योपैथी को लेकर ऐसा ब्लॉग बनाना सरहानीय है, अब रोज़ आया करेंगे

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

विनय said...

actually, follow comment by e-mail option is theme dependent.

राजीव said...

प्रभात जी, कुछ ऐसा ही होता रहा है हमारे प्रदेश में। मैं भी ऐसी कुछ परियोजनाओं से कभी जुड़ा रहा हूँ। चाहने के बाद भी आवंटित धन का भी पूरा उपयोग न हो पाने से कई बार धन को राजकीय कोष में वापस किया गया है। वहीँ अन्य राज्यों में समानांतर परियोजनाओं में उस धन के सम्पूर्ण उपयोग (कुछ प्रतिशत वास्तव में प्रयुक्त भी) के बाद अतिरिक्त धन भी आवंटित हुआ और उसका उपयोग (सद् + दुरु) भी ;)

लखनऊ का नेशनल होम्योपैथिक कालेज – बुरे हाल ११ सालों मे भी न हो पाया पूरा निर्माण « होम्योपैथी-न said...

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