शोध कार्यक्रम का उद्घाटन और होम्योपैथी से होगा पेड़ पौधों की बीमारी का भी इलाज

Monday 21 August, 2006

कम से कम इस बार तो होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद को इतनी अक्ल आयी कि सरकारी क्षेत्र मे हो रहे अधिकतर अनुसंधान सही तथ्यों पर आधारित नही होते हैं। डा गिरीश गुप्ता जी को यह शोध कार्य का जिम्मा देकर यह एक सही कदम उठाया गया है, डा गिरीश गुप्ता जी की प्रतिभा का सही आंकलन तो उसी समय से शुरू हो गया था जब वह नेशनल होम्योपैथिक कालेज मे थे , मेरा उनका साथ एक जूनियर की तरह से रहा, जब मैने एडमिशन लिया तो उनका शायद अन्तिम वर्ष था, टोबेको मोजेक वाइरस और कई अन्य बैकटरिया और फ़न्जाई पर उनका शोध कार्य सराहनीय रहे , कई साल पहले टोबेको मोजेक वाइरस पर उनका शोध कार्य C.D.R.I. के तत्वधान मे था जो उनकी विलक्षण प्रतिभा का परिचायक था। 19 अगस्त 2006 की दैनिक जागरण की दो खबरें कम से कम होम्योपैथिक से जुडे लोगो को बहुत राहत पहुचाने वाली हैं।
dr girish gupta

शोध कार्यक्रम का उद्घाटन
लखनऊ, 19 अगस्त (जासं.) । केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष विभाग, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राजधानी स्थित होम्योपैथिक रिसर्च फाउण्डेशन को प्रोस्टेट ग्रन्थि पर होम्योपैथिक औषधियों का प्रभाव पर शोध के लिए वित्तीय सहायता दी है। तीन वर्ष तक चलने वाले इस शोध कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय आयुष विभाग के अनुभाग सेण्ट्रल काउन्सिल फार रिसर्च इन होम्योपैथी के निदेशक प्रो. चतुर्भुज नायक ने किया।
  गौरांग क्लीनिक एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व महापौर डा. एससी राय एवं निदेशक होम्योपैथी डा. बीएन सिंह उपस्थित थे। सरकार द्वारा दिये गये अनुदान से शोध के लिए पंजीकृत पुरुषों का नि:शुल्क परीक्षण जिनमें अल्ट्रासाउण्ड, रक्त, मूत्र परीक्षण एवं शल्य चिकित्सक की राय शामिल है, एवं दवा की सुविधा दी जायेगी। परियोजना का कार्यस्थल गौरांग क्लीनिक एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र, बी-1/41 सेक्टर ए, निकट राजश्री सिनेमा कपूरथला अलीगंज है। इसके लिए एक शोध दल का गठन किया गया है जिसमें मुख्य परामर्श चिकित्सक डा. गिरीश गुप्ता, शोध अधिकारी डा. जेपी सिंह, यूरोलाजिस्ट डा. सलिल टंडन तथा वरिष्ठ शोध अधिकारी डा. मोहन सिंह हैं। 50 वर्ष इससे अधिक आयु के पुरुष जो प्रोस्टेट की बीमारी से पीडि़त हैं अपना पंजीकरण सुबह दस से दोपहर दो बजे के बीच करा सकते हैं।
   एक दूसरी खबर 'होम्योपैथी से होगा पेड़ पौधों की बीमारी का भी इलाज ' जागरण मे छपी है, टोबेको मोजेक वाइरस पर कई साल पहले हुआ अनुसंधान मुझे याद देता है कि हम इस क्षेत्र मे बहुत कुछ कर सकते थे लेकिन सरकारी उपेक्षा का शिकार होम्योपैथी हमेशा से रही है, अब यह सही समय है कि होम्योपैथी का सही आंकलन किया जाय ।


होम्योपैथी से होगा पेड़ पौधों की बीमारी का भी इलाज
जागरण संवाददाता
  लखनऊ, 19 अगस्त। केन्द्रीय आयुष विभाग के अनुभाग सेण्ट्रल काउन्सिल फार रिसर्च इन होम्योपैथी के निदेशक प्रो. चतुर्भुज नायक का कहना है कि पेड़ पौधों की बीमारी में भी होम्योपैथी लाभकारी है। इस दिशा में और अधिक शोध करने के लिए केन्द्रीय औषधि एवं सगंध पौधा अनुसंधान संस्थान (सीमैप) एवं सहारा एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट से सहयोग लिया जा रहा है। प्रो. नायक आज एक कार्यक्रम के सिलसिले में राजधानी में उपस्थित थे।
  प्रो. नायक ने बताया कि अभी तक पेड़ पौधों के इलाज के लिए कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। जानकारी के अभाव में किसान निर्धारित मात्रा से काफी अधिक कीटनाशक का प्रयोग करते हैं जिससे कई दुष्प्रभाव समाने आते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए होम्योपैथिक दवाओं से पेड़ पौधे में लगने वाले रोगों को दूर करने की दिशा में शोध किया जायेगा। प्रो. नायक ने बताया कि नेशनल होम्योपैथिक कालेज में स्थित होम्योपैथिक ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में कई बीमारियों पर शोध हो रहा है। यहां पर सफेद दाग, किडनी में स्टोन, बच्चों में होने वाला डायरिया और प्रोस्टेट सम्बन्धी बीमारियों पर शोध किया जा रहा है। यहां पर आने वाले मरीजों से किसी ्रप्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।

1 comments:

SHUAIB said...

धन्यवाद ड़ा टन्डनजी - आपके इस लेख मे बढिया जानकारी है और कई बातें तो मेरे लिए नई हैं - एक और धन्यवाद