वाइरल संक्रमण और होम्योपैथी-डॆंगू और इन्फ़लूयून्जा

Thursday 31 August, 2006

गतांक से आगे----
4. डेंगू बुखार:[Dengue fever]-

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इसे हडडी तोड बुखार भी कहते हैं। इसका समय काल 3 दिन तक रहता है पर इतने थोडे से समय मे ही समूचे शरीर मे इतना दर्द होता है कि रोगी एकदम कातर हो जाता है। 3-7 दिन के इन्कूबेशन पीरियड के बाद रोग का अचानक आक्र्मण होता है, बुखार 102-106 फ़ा तक चढता है, सभी माँस पेशियों में दर्द ,जी मिचलाना, पित्त का वमन, लसिका ग्रनिथयों (lymphatic glands) का फ़ूलना, शरीर पर खसरा की तरह दाने निकलना इसके प्रमुख लक्षण हैं। एक बार ठीक हो जाने के बाद रोग दोबारा भी हो सकता है। डेंगू से बचाब के लिये मच्छरों पर नियंत्रण बहुत आवशयक है क्योंकि डेंगू बुखार का वाइरस मच्छरों के काटने से रोगी को संक्रमित करता है।
dengue photo


5. इन्फ़्लुएन्जा [Influenza]-

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इन्फ़्लुएन्जा संक्रामक तो है ही और साथ मे बहुव्यापक भी है,इसका कारक भी वाइरस है। जाडा लगना,बुखार,आँख से पानी गिरना,तेज जुकाम इस रोग के प्रधान लक्षण है॥ साधारण सर्दी से इसके लक्षण मिलते जुलते हैं। आमतौर से इन्फ़्लुएन्जा का ज्वर 4-5 दिनों से अधिक नहीं रहता ; पर यदि कोई अन्य उपसर्ग साथ मे जुड जाते हैं तो आरोग्य होने मे समय लगता है। वृददों मे यह एक घातक रोग हो सकता है। रोगी अत्यंत कमजोरी की वजह से बलगम निकाल नही पाता और इसी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है।
inflenza

2 comments:

डेगूं (Dengue) और होम्योपैथी « होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें said...

[...] डेंगू बुखार पर पहले भी लिख चुका हूँ, देखे यहाँ लेकिन अब चूँकि यह व्यापक रूप से फ़ैल चुका है, अबकि बार अधिक जानकारी विस्तार से डेंगू का होम्योपैथिक उपचार एवं प्रतिरोधक औषधियों की ( prophylactics )। करीब तीन साल पहले भी यह व्यापक रूप से फ़ैला था और उस समय होम्योपैथिक औषधियों के परिणाम काफ़ी सन्तोषजनक मिले थे। लेकिन अब कि बार के आँकडे सरकारी आँकडों से मेल खाते नही दिख रहे। पिछले 8 दिनों में करीब 76 रोगियों के खून के नमूने मैने जो लिये और उनकी पैथोलोजिकल जाँच करायी उनमे सिर्फ़ 4 रोगी डेगूं के निकले । यह तुलना गत 3 साल पहले डेगूं के epidemic से बिल्कुल फ़र्क थी। सामान्तया डेंगूं की जाँच के लिये दो प्रकार के टेस्ट कराते हैं- platelets count और Elisa/Antibody test (IgG and IgM)। Elisa Dengue , platelets count की तुलना मे थोडा सा महगाँ टेस्ट है और रोगी के परिवारजन इसको करवाने से कतराते हैं। एक स्वस्थ मनुष्य मे platelets count की संख्या 1,50,000-2,50,000 तक होती है। तो क्या कारण रहा कि इस बार अधिकतर रोगियो में यह जाँच मे नही पाया गया । शायद इसका कारण इस बार रोग का संक्रमण महामारी (Epidemic-रोग का सक्रमण जो कई व्यक्तियों को एक साथ सक्रमित करे) के रूप मे न होकर endemic (स्थानिक) रहा है। लेकिन जिस तरह से रोगियों की संख्या पिछले कुछ दिनों मे बढी है, इसको स्थानीय संक्रमण से महामारी बनने मे भी देर नही लगेगी। [...]

मेरी डायरी – लखनऊ मे कहर बरपाता डॆंगूं | होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें said...

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