प्राचीन भारतीय औषधियाँ और उनके होम्योपैथी उपयोग-2

Friday 29 September, 2006

ईगल फ़ोलिया(AEGLE FOLIA)

AEG;LE FOLIA

सामान्य नाम-बेलपत्र
अंग्रेजी-Bengal quince
हिन्दी -बेल
वनस्पति परिवार- रूटेसी


विवरण:
यह सिर्फ़ भारत मे ही पाया जाता है और हिमालय के आसपास कम ऊँचाई के जंगलो मे बहुतायत मे पाया जाता है। इसका धार्मिक महत्व भी है।
इस पेड का फ़ल मुख्यता दस्त और पेचिश का उपचार करने मे प्रयोग होता है। चिकित्सा प्रयोजनों के लिये अधिकाशत: आधा पका फ़ल प्रयोग किया जाता है। इस पेड के फ़ल से ईगल मार्मिलोस और पतियों से ईगल फ़ोलिया तैयार किया जाता है।

होम्योपैथिक उपयोग:
ईगल मार्मिलोस की तरह यह औषधि भी पेचिश और बवासीर मे प्रभावकारी पायी गई है।

पेचिश(Amoebic dysentry):
रक्त एव बलगम मिश्रित पतले मल के साथ शूलकारी दर्द्। भोजन ग्रहण करते ही मलत्याग की इच्छा शुरु हो जाती है और मलत्याग करने से आराम मिल जाता है( Colitis)

बवासीर (Piles):
खुजलीयुक्त, दर्दनाक एव फ़ुंसीनुमा। कब्ज, सख्त एव अल्प मल्।

शवेतप्रदर(Leucorrhoea):
जलन के साथ सफ़ेद स्त्राव जो ऐडी तक पहुँच जाता है। सुधार- लेटने से

माइग्रेन ( Migraine)
पित्तीय वमन के साथ कनपटी मे फ़डकन की तरह का दर्द्। इअसके बाद कमजोरी का अनुभव्।

पोटेन्सी- 6, Q

1 comments:

DR HARSHAD RAVAL MD HOMEOPATHY said...

sir
old ancient homeopathy medicine is help full data from crud medical substance property.
Its redirectory data how do more reaserch.

Thanks.

Dr Harshad Raval MD[hom]
Honorary consultant homeopathy physician to his Excellency governors of Gujarat India. Qualified MD consultant homeopath ,International Homeopathy adviser, books writer and columnist. Specialist in kidney, cancer, psoriasis, leucoderma and other chronic disease