टेफ़लोन और एलर्जी

Tuesday 26 June, 2007

टेफ़लोन तवे आम तौर से प्रयोग होने वाले टेफ़लोन की पर्त चढे नान स्टिक तवे आजकल गृणियों की पंसद बन चुके हैं. लेकिन अब सावधान हो जायें , क्या यह टेफ़लोन आप के जीवन मे समस्या पैदा कर सकता है ? हाँ , शायद , शोध तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं.
वैसे तो टेफ़लोन उच्च तपमान को बर्दाशात कर सकता है लेकिन अधिक तापमान पर इसकी पर्त टूट भी सकती है और फ़ल्स्वरुप परफ़्लूरो-औकटोनैक नाम का अम्ल खाने मे मिल सकता है. परफ़्लूरो-औकटोनैक अम्ल के चूहों पर किये गये प्रयोग दिखाते हैं कि इस अम्ल मे दमा के लक्षण उत्पन्न करने की क्षमता है . मौजूदा दौर मे जहाँ लगभग आठ बच्चों मे से एक दमा से पीडित है , यह सर्वेक्षण और शोध दमे के कारणों की ओर महत्वपूर्ण इशारा करते हैं. पूरी जानकारी के लिये देखे डेली मेल की यह रिपोर्ट
इसके पहले सन २००१ मे भी शोधकर्ताओं ने नान -स्टिक तवों से होने वाले नुकसान के बारे मे चेतावनी दी थी. देखे यहाँ

10 comments:

संजय बेंगाणी said...

धन्यवाद जानकारी देने के लिए.

सावधानी रखी जाएगी.

सुनीता(शानू) said...

डॉक्टर साहेब जानकारी के लिये धन्यवाद...चिट्ठे में एक डॉक्टर का हो ना भी जरूरी है...:)

Sanjeet Tripathi said...

शुक्रिया इस जानकारी के लिए डॉ साहब!!

नैनीताल के हमारे एक पाठक अजय सिंग कल गूगल टॉक पर टकरा गए , मालूम चला कि वह भी होम्योपैथिक डॉक्टर है, हमने फ़ौरन उन्हें आपका ब्लॉग़ पढ़ने की सलाह दी!!

Mishra; RC said...

प्रभात जी, PerFlurorOctanoic acid के बारे मे US Environmental protection Agency की रिपोर्ट यहाँ देखें http://www.epa.gov/oppt/pfoa/
जहाँ तक पुरानी रिपोर्ट मे TFA (Trifluoro Acetic acid) के बारे मे लिखा है, तो ये नॉन स्टिक बर्तनो खाना पकाने के दौरान नही निकलता है, मैं आये दिन इसका प्रयोग करता रहता हूँ :)।

arun said...

जी हा पोलीयूरेथीन दो घातक रसाय्नो का मिश्रण है.जिसको छूने भी नही दिया जा सकता पर यह आज चप्पल जूते से लेकर रसोई तक मे उपल्ब्ध है.पर शायद हम खतर्नाक तभी मानेगे जब कोई विदेशी इस पर कोई लेख लेखेगा

समीर लाल said...

जानकारी के लिये आभार. सालों से नॉनस्टिकिंग पर बना ही खा रहे हैं. हाँ, यह जरुर है कि परत टूटी नहीं है. मगर आपको पढ़ने के बाद से छींक शुरु हो गई, थोड़ा इस एलर्जी की दवा भी तो बतायें. अभी तो बस बीबी कह रही हैं कि ये क्या हाल बना रखा है? कुछ लेते क्यूँ नहीं!!! पुराना विज्ञापन याद आ गया-ग्लायकोडीन ले लूँ क्या? :)

प्रमेन्‍द्र प्रताप सिंह said...

हमारे यहाँ तो शुद्ध लोहा का तावा उपयोग होता है।

Mohit said...

great work maserji...

pravin said...

bahut hi sargrabhit jankari di aapne ... iske liye dhanyawad....
ham villege me rahne wale log is non-stick bartano ke prayog se achhute hain....

DR HARSHAD RAVAL MD HOMEOPATHY said...

Every technology is help full to human diagnosis.

Thanks.

Dr Harshad Raval MD[hom]
Honorary consultant homeopathy physician to his Excellency governors of Gujarat India. Qualified MD consultant homeopath ,International Homeopathy adviser, books writer and columnist. Specialist in kidney, cancer, psoriasis, leucoderma and other chronic disease